आँखों में छिपा सच
आँखों में छिपा सच
तुमसे मिल कर
दिल की थकन मिट जाती है
वरना इन साँसों का
अनवरत चलते रहना
बड़ा खटकता है..
शोर लगती हैं धड़कने
बोझ सा लदा रहता है
पलकों पर इंतज़ार का..
मुनासिब है ये कहना कि
हाँ अब वो प्यार नहीं रहा,
तुम ही तो कहते हो न..
पर सुनो
ये बात आँखों में देख कर मत कहा करो
मुझे यक़ीन कर लेने दो
तुम्हारी कही बात पर एक बार,
फिर मैं भी कह दूगीं कि
मुझे भी कहाँ है तुमसे प्यार
पर सुनो
तुम भी मेरी आँखों में मत देखना।