पिता
पिता


हाँ यही कहते हैं कि,
गम्भीर, सख़्त और संजीदा
बहुत कठोर हृदय होता है पिता,
पर जब होती है कोई बेटी विदा
तो बहुत रोता है पिता..
हाँ नहीं वक्त देता बच्चों को
सप्ताह के छ: दिन
जब देखो बस दफ़्तर, फ़ाइलें और काम,
पर भूल कर अपना आराम,
मेहनत, पसीने से घर बनाता
घर की वही जमीं, छत और
सुरक्षा की मज़बूत दीवार होता है पिता..
वक्त से पहले ही
झुक जाते हैं पिता के बलिष्ठ कन्धे
भारी ज़िम्मेदारियों के बोझ से,
पर घूमता है लिये चेहरे पर मुस्कान
मस्तक गर्व से ऊँचा, कर्तव्यनिष्ठ,
तत्पर अपने बच्चों को देने उड़ान
विराट आसमान होता है पिता..