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Shweta Chaturvedi

Romance

4.3  

Shweta Chaturvedi

Romance

प्रेम

प्रेम

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तुम कैसे पतझड़ के जैसे 

ख़ुद मुझे दूर कर देते हो

और मेरी सोच फिर वसंत सी 

तुम्हारे प्रेम के

नव अंकुर उगा लेती है।।


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