ऐ री बारिश
ऐ री बारिश
ऐ री बारिश!आती क्यों है
आकर मुझे सताती क्यों है
कल छत पर गयी थी मिलने तुमसे
ऊपर से मुँह चिढ़ाती क्यों है
झटक देती हूँ बालों से तुम्हें
यूँ भिंगोकर ख़्वाब दिखाती क्यों है
जब ठहरती है मेरे गोरे गालों पर
नीचे गिर इतराती क्यों है
रख लेती हूँ तुम्हें हथेली पर
शबनम बन शरमाती क्यों है
छोड़ चलूँ मैं तुमको जब
आवाज़ देकर बुलाती क्यों है
कल फिर मिलूँगी बारिश तुमसे
वादा करके जाती मैं हूँ
अब जा भी जा री पगली बारिश
मन को इतना फुसलाती क्यों है
ऐ री बारिश!आती क्यों है
आकर मुझे सताती क्यों है