STORYMIRROR

Prajapati Parth

Abstract

3  

Prajapati Parth

Abstract

अकेला

अकेला

1 min
1.3K

अकेला ही आया था तू,

अकेला ही जायेगा,

अकेले ही जीना है तुझे,

अकेले ही रेहाना शिख


खुद से जीना सिख,

खूद से ही मारना

खुद से ही खुश रेह,

खुद से ही दुखी,

खुद का ही आँसू बन,

खुदा का ही सहारा

खुद से प्यार कर,

खुद से ही नफ़रत,

खूद का ही दोस्त बन,

खुद का ही दुशमन

अकेला ही आया था तू,

अकले ही रहना सीख...


गिराना है कही बार तुझे,

घायल भी होना है तूझे,

टुटना भी है कही बार तुझे,

मरना भी है तुझे,

खुद से ही उठना सिख,

खुद से ही चलना,

खुद से जुडकर,

खुद से ही मिलकर,

करनी है तुझे,

हर मुश्किलों का समाना,


दोडता रेह-चढता रेह,

हर चटनो को,

ढुंढकर अपना रास्ता,

हासिल कर अपनी मंजिलो को,

तू खुद ही है इक समंदर,

खुद ही है इक ज्वाला,

खुद ही ले सकता है हर फतेह,

जरुरत नही तुझे किसी और की,

तू आया था अकेला,

जीता रेह तु अकेले...


साथ जरुर रेहना अपनो के,

प्यार जरुर करना अपनो को

चलते रेहना साथ अपनो के,

हर पल हर वक्त हर घड़ी,

पर न बन जाना तू आदत उनकी,

मत बन जाना तु उनका जीवन

वह भी आए है अकेले,

जिन दे उनको भी खूद से,

न बन जाना तू उनका प्यार,

बन मत जाना उनका समय,


क्योंकि ....

तू भी अकेला ही आया था,

अकेले ही रेहाना सिख,

अकेले ही जीता रह,

और अकेले ही लौट जाना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract