सुन लो...
सुन लो...


न पूजी जाने की तमन्ना
न सहानुभूति की कामना
न चाह शक्ति रुपा बनना
न ही कमजोर है नारी सुनना
सीता न ही सावित्री बनना
इंसान है बस नारी ललना
समानता सम्मान का हो गहना
कर सकती है हर चुनौती का सामना
चुप न रहुँगी न सहुँगी प्रताड़ना
पश्चिम की अनुसरण की न हो भावना
भारतीयता की परछाई संग आगे बढ़ना
तोड़ कर सदियों की विडंबना
उतार कर पाँवों की बेड़ियाँ
बस प्रगति पथ पर चलना
यही है नारी की कामना।