STORYMIRROR

Shailaja Bhattad

Abstract

4.5  

Shailaja Bhattad

Abstract

गुरु

गुरु

1 min
214


शीश झुकाए 

मेरा अभिनंदन

गुरु वंदन।


गुरु शरण 

महका है जीवन

गुरु वंदन।

गुरु शरण। 


गुरु का आशीर्वाद

गुरु का साथ।

ज्ञान के दाता। 

गुरु भाग्यविधाता। 


शरण में हूं।

गुरु शरण।

महका है जीवन। 

अभिनंदन गुरु करते। 


नई दृष्टि की वृष्टि।

ज्ञान की ज्योति।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract