मिटता हुआ जख्म
मिटता हुआ जख्म

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जो मिट रहा है वही सबको दिख रहा है
मिटता हुआ जख्म आखिर विदा ले रहा है
ये इश्क़ का जख्म है ऊपर से मिट रहा है
अंदर ही अंदर दिल में जख्म बढ़ रहा है
दिल बार बार बेतहाशा यूँ तड़प रहा है
इस कदर क्यों तू घुट घुट कर मर रहा है
वो पल पल किसी और का हो रहा है
बस इसी घुटन में मेरा दम निकल रहा है
मेरी आँखों में बहुत खुशी झलक रही है
ये अदाकारी घर वालों के सामने चल रही है
मुझे खुश देखकर उन्हें खुशी मिल रही है
इसलिए मिटता हुआ जख्म नजर आ रहा है।