औरत
औरत
हर घड़ी उसे
तुम यूँ ना जज किया करो
वो एक औरत है
उसका इम्तेहान ना लिया करो
तुम्हारी उम्मीद पर
वो खरी उतरेगी ऐसा ना सोचा करो
तुम्हारी उम्मीद से
भी परे है उसकी शख्सियत समझा करो
वो पल में पिघल जाएगी
ऐसी सोच हरदम ना रखा करो
अगर बात इज़्ज़त की है
तो उसको यूँ सरे आम बदनाम ना करो
तुम्हारे भी माँ बेटियाँ हैं
बस इसलिए ही हर औरत की इज़्ज़त किया करो
गलती हो जाये ग़र तुमसे
तो कभी तो माफ़ी मांग लिया करो
वो मोम सा दिल रखती है
कभी उसकी बात मान उसका भी दिल रखा करो