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Deeksha Chaturvedi

Tragedy

3  

Deeksha Chaturvedi

Tragedy

एक सैनिक का दुःख

एक सैनिक का दुःख

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एक सैनिक के दुःख 

को किस तरह बयां करूं

कितनी फ़िक्र होती है ये कैसे कहूँ

दिन रात उसे माँ बाप की फ़िक्र सताए 

छोटी बहन राखी पर याद आए 

सावन के महीने में संगिनी याद आए 

हर रोज उसे अपना बच्चा याद आए 

दोस्तों को भी वो कहाँ भुला पाए 

वो गाँव की मिट्टी की महक याद आए 

खेत में लहराती सरसों याद आये 

वतन की रखवाली की ख़ातिर खून के घूंट पीए जाए 

देश की रखवाली पर वो अपनी जान कुर्बान कर जाए 

और एक दिन तिरंगे में लिपटा हुआ घर वापस आए! 


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