झूठ
झूठ


जो इंसान सुबह से शाम तक बाद झूठ बोलता है ये चंद पंक्तियाँ उसके लिए....
सुबह को तुम एक गिलास गुनगुना झूठ पिओ स्वास्थ्य के लिए कितना अच्छा होगा,
नाश्ता की टेबल पर भी तो झूठ का सैंडविच तुम्हारा इंतजार कर रहा होगा,
ऑफिस में भी तो तुम्हारे नए झूठ की नई प्रजेंटेशन का इंतजार हो रहा होगा,
तुम्हारे लिए झूठ की सब्जी, झूठ की दाल संग रोटी से दोपहर का लंच तैयार हो रहा होगा,
शाम को तुम्हारे द्वारा अपने दोस्तों से एक नया झूठ बोला जा रहा होगा,
रात को डिनर में आप को किस प्रकार के झूठ का व्यंजन खाना पसंद होगा,
घर लौटते ही तुमने बीबी, बच्चों से कम से कम एक झूठ तो बोला होगा,
हाय रे झूठ तुझे अपने पर कितना घमंड होगा अपने पर तू इतराता होगा,
दिन भर में तुम कितने झूठ बोलते होगे ये तो झूठ को भी ना पता होगा!