इज़हार-ए-इश्क
इज़हार-ए-इश्क
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सोचती हूँ तुमसे कैसे कहूँ
कैसे अपना हाल ए दिल बयां करूं
लफ्ज़ हैं तो सही पर कैसे उनका चुनाव करूं
बेचैन धड़कन को कैसे काबू में करूं
कैसे चुपके से तेरा दीदार करूं
सबके सामने कैसे मोहब्बत का इजहार करूं
तन्हाई में कैसे मुलाकात करूं
कैसे तुमको बुलाने के लिए इशारे करूं
कैसे तेरे आने पर खुद को व्यक्त करूं
प्रेम के ढाई अक्षर कैसे कहूँ
काश कुछ ना कहूँ
काश मेरी आँखों से कुछ कह सकूँ
मेरी मुस्कान को समझा सकूँ
इशारों इशारों में कुछ बयां कर सकूँ
ख़ामोशी को समझा सकूँ
मेरे दिल का हाल ए बयां कर सकूँ!