सहधर्मिणी, वह संगिनी, गृह स्वामिनी वह वह वामांगिनी आर्य पग धरे वह साथ हो,सुखद अनुभूति सहधर्मिणी, वह संगिनी, गृह स्वामिनी वह वह वामांगिनी आर्य पग धरे वह साथ हो,सुखद...
मैं, औरत, सहनशीलता, संवेदनशीलता, पवित्र गंगा सी। मैं, औरत, सहनशीलता, संवेदनशीलता, पवित्र गंगा सी।
कभी माथे पे बिंदिया सा उसको मैं सजाती हूँ। कभी माथे पे बिंदिया सा उसको मैं सजाती हूँ।
दिल का हाल अब सारा बयां करना है, विरह आग में आधा आधा हम दोनों को जलना है।। दिल का हाल अब सारा बयां करना है, विरह आग में आधा आधा हम दोनों को जलना है।।
कुछ तो बात थी तुम्हारी उलझनों में वरना गैरों को भी मुस्कुराना सिखा दिया! कुछ तो बात थी तुम्हारी उलझनों में वरना गैरों को भी मुस्कुराना सिखा दिया!
जब तक प्राण प्रिय पत्नी संग न हो हो जाता सब बर्बाद और बेकार।। जब तक प्राण प्रिय पत्नी संग न हो हो जाता सब बर्बाद और बेकार।।