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Swati K

Inspirational

3  

Swati K

Inspirational

आगाज

आगाज

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क्यों खुद को जंजीरों में जकड़ लिया

क्यों खुद को तन्हाई के आगोश में कैद कर लिया 

परवाह नहीं की अपनों की तुमने 

और अकेलेपन को अपनी संगिनी बना लिया,

ये कैसी बेरूखी जो खुद पे ही सितम ढ़ा रहे

कुछ तो बात थी तुम्हारी उलझनों में

वरना गैरों को भी मुस्कुराना सिखा दिया!

एक गुजारिश है

जिंदगी को फिर एक मौका तो दो

देखो ये जिंदगी फिर मुस्कुराने की वजह दे जाएगी!

हालातों से समझौता नहीं

हालातों से लड़ना है तुम्हें

उठकर फिर चलना है तुम्हें

अपने वजूद को फिर तराशना है तुम्हें

अपने सपनों को पंख देना है तुम्हें

आसमां को मुट्ठी में करना है तुम्हें

एक नई कोशिश एक नया आगाज करना है तुम्हें

जिंदगी को फिर जिंदादिली से जीना है तुम्हें!!!

                        


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