फिर से जीते हैं ....
फिर से जीते हैं ....
सर्द पड़े रिश्तों को,
फिर से जीते हैं।
लम्हे जो रूठ गए,
उनको फिर मनाते हैं।
खुशियों की कहकहों,
की सरगोशियां भरते हैं।
प्यार की गर्माहट से,
तन्हाइयों से निकल आते हैं।
सर्द पड़े रिश्तों को,
फिर से जीते हैं।
लम्हे जो रूठ गए,
उनको फिर मनाते हैं।
खुशियों की कहकहों,
की सरगोशियां भरते हैं।
प्यार की गर्माहट से,
तन्हाइयों से निकल आते हैं।