Kamaldeep Kaur
Drama Classics
सर्द पड़े रिश्तों को,
फिर से जीते हैं।
लम्हे जो रूठ गए,
उनको फिर मनाते हैं।
खुशियों की कहकहों,
की सरगोशियां भरते हैं।
प्यार की गर्माहट से,
तन्हाइयों से निकल आते हैं।
अजीब है दुनिय...
हिम्मत।।
इकरार
जिंदगी बदलती ...
नई शुरुआत, नए...
श्री गुरु अर्...
चाहते हो तो.....
आंसू
नए अरमान सजात...
अभी बाकी है
डगमगाने लगा स्वर्ग सिंहासन, गगन मैं दानवों दी किलकारी हैं। डगमगाने लगा स्वर्ग सिंहासन, गगन मैं दानवों दी किलकारी हैं।
एक पार्टी का नेता बोला मैं सरकार से कह कर आपके लिए पक्के मकान बनवा दूंगा। एक पार्टी का नेता बोला मैं सरकार से कह कर आपके लिए पक्के मकान बनवा द...
फासलों को मिटाने के लिए फैसलों पर बात ना करते, अगर वो लोग मेरी जगह होते.. फासलों को मिटाने के लिए फैसलों पर बात ना करते, अगर वो लोग मेरी जगह होते..
एक बार भी उन्हें मैं पहन ना सकी सारे ही तो तुमने अपने हाथों से ही गंगा माँ में समा दिया एक बार भी उन्हें मैं पहन ना सकी सारे ही तो तुमने अपने हाथों से ही गंगा माँ म...
रहिए ना अब ऐसे भरम में मिलेंगे हम अब अगले जनम में रहिए ना अब ऐसे भरम में मिलेंगे हम अब अगले जनम में
अजीब थी वो सर्दी वाली बारिश की रात अजीब थी वो सर्दी वाली बारिश की रात
इस ओर हर ओर, मैं देखूं जिस भी ओर, एक उत्सव सा लगता है। इस ओर हर ओर, मैं देखूं जिस भी ओर, एक उत्सव सा लगता है।
बढ़ते रहने का हर सफर जारी रखो... बढ़ते रहने का हर सफर जारी रखो...
संवाद करने भर के लिए स्त्री, क्यों आखिर शब्दावली तलाशती है. संवाद करने भर के लिए स्त्री, क्यों आखिर शब्दावली तलाशती है.
भीतर से आवाज आना हो गई बंद है प्रकाश पर आज लगे हुए तम कलंक है भीतर से आवाज आना हो गई बंद है प्रकाश पर आज लगे हुए तम कलंक है
किसी की न कीजिए तलाश अब रुक जाइए करिये आराम बस ! किसी की न कीजिए तलाश अब रुक जाइए करिये आराम बस !
खुद्दारी के दामन में उनका ही दम घुटता है। जो चापलूसी से सांसो का रिश्ता रखता है। खुद्दारी के दामन में उनका ही दम घुटता है। जो चापलूसी से सांसो का रिश्ता रखता ...
भारतीयों के लिए भी कश्मीर एक आकर्षक जगह है, कश्मीर अपने आप में एक अनूठा अनुभव है, भारतीयों के लिए भी कश्मीर एक आकर्षक जगह है, कश्मीर अपने आप में एक अनूठा अनुभ...
बिन मेरे भले ना दिन ढले, मैं लौट के अब ना आऊँगा। बिन मेरे भले ना दिन ढले, मैं लौट के अब ना आऊँगा।
माँ आज भी चूल्हे पर बैठी गुड़ की चाय बना रही है माँ आज भी चूल्हे पर बैठी गुड़ की चाय बना रही है
ना ही एक दूसरे की इच्छाओं की प्राथमिकता ना ही एक दूसरे पर अधिकार ना ही एक दूसरे की इच्छाओं की प्राथमिकता ना ही एक दूसरे पर अधिकार
प्यार में हमेशा कोई न कोई पागलपन होता है, परन्तु साथ ही हमेशा पागलपन में कुछ कारण भी प्यार में हमेशा कोई न कोई पागलपन होता है, परन्तु साथ ही हमेशा पागलपन में कुछ...
यह तथ्य जान लो झूठ, मुखौटों से, पहचान नहीं बनती, मानव की सुन्दर, अच्छी छवि, सच्चाई बिन यह तथ्य जान लो झूठ, मुखौटों से, पहचान नहीं बनती, मानव की सुन्दर, अच्छी छवि, स...
छोड़ दे भीख लेना-देना, स्वार्थी ज़माने में कोटि धन-दौलत है, भीतर निज ख़जाने में छोड़ व्यर्थ छोड़ दे भीख लेना-देना, स्वार्थी ज़माने में कोटि धन-दौलत है, भीतर निज ख़जाने में छोड़...
मुझे माफ करना जो तुमको रुलाया कभी भूले से तेरा दिल जो दुखाया मुझे माफ करना जो तुमको रुलाया कभी भूले से तेरा दिल जो दुखाया