STORYMIRROR

Phool Singh

Drama Classics Inspirational

4  

Phool Singh

Drama Classics Inspirational

हे राम

हे राम

1 min
3

जीवन नैया कर दो पार

विनती करूं मैं बारम बार

जय सिया राम जय जय सिया राम...........


कामी-क्रोधी और पापी हूं मैं

लोभ, झूठ-फरेब संग मन में स्वार्थ

जय सिया राम जय जय सिया राम...........


बंधनों में ऐसा जकड़ा हुआ मैं 

होता मोह-माया का भयंकर जाल 

जय सिया राम जय जय सिया राम...........


क्षणभंगुर सा जीवन प्रभू

तेरी भक्ति का जानू न क्या है सार

जय सिया राम जय जय सिया राम...........


दुःख-दर्द मुझे सहन न होते 

सारे तोड़ के आया बंधन खास

जय सिया राम जय जय सिया राम...........


बता कैसे करूं मैं तेरा ध्यान

आन पड़ा मैं तेरे द्वार

जय सिया राम जय जय सिया राम...........


देर से आया पर आ गया मैं 

कर लो प्रभू अब स्वीकार 

जय सिया राम जय जय सिया राम...........


शेष बची अब कुछ ही स्वास 

अंतिम तुझ पर लगी है मेरी आश 

जय सिया राम जय जय सिया राम...........


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama