रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
वो माँ तो नही पर माँ सी है ,वो मेरे लिए खुदा सी है
मगर आज उसके चेहरे पर ,छायी फिर से उदासी है
वो मेरे सामने तो रोती नही ,छुप कर आँसू बहाती है
मुझे लगता है मेरी तरह ही ,उसे माँ की याद आती है
अक्सर वो अपने आँसूओ को ,मेरे सामने पी जाती है
मगर उसकी सुजी हुई आँखें ,मुझसे सब कह जाती है
हर साल रक्षा बंधन आने पर ,वो मुझे राखी बाँधती है
सिर्फ स्वयं की रक्षा का वचन ,वो मुझसे भी माँगती है
वो इस तरह रक्षासुत्र बाँधकर ,मेरी उम्र लम्बी करती है
और अपने दोनो हाथ से मुझे ,अनगिनत दुआएं देती है
वो माँ की तरह सुंदर तो नही ,मगर सुंदरता की मूरत है
वो मेरी बडी बहिन है "मनु" ,मेरी माँ की उसमे सूरत है
