Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Nidhi Singh

Drama

4  

Nidhi Singh

Drama

मेरी क़लम

मेरी क़लम

1 min
46


मेरी क़लम आज ख़ामोश है 

कुछ खोयी हुई कुछ अस्पष्ट है 

वास्तविकता देख आज वो निशब्द है

वीरान सड़कों में राह भटक गयी है 

मेरी क़लम वो आज ख़ामोश है


जो आज कल दिख रहा, उसे लिखना नहीं

जो रोज़ाना बीत रहा, उसे और अब कहना नहीं

वो कितना लिखे वो कितना कहे

उसे कुछ साधारण की चाह है 

उसे कुछ सामान्य का मोह है

मेरी क़लम आज सोयी हुई है

मेरी क़लम वो आज ख़ामोश है


जाने वो कैसा समय था 

जब बिलकुल समय नहीं था 

ऐसा ही समय वो ढूंड रही है

समय बदल जाए यही सोच रही है 

मेरी क़लम आज सोयी हुई है

मेरी क़लमवो आज ख़ामोश है


स्याही अब सूख रही है 

शब्दों का दुष्काल पड़ा है 

बंद कलम पर जो तमस् चढ़ा है 

वो उजाले की प्रतीक्षा कर रही है 

मेरी कलम आज निशब्द है अस्पष्ट है

मेरी कलम वो आज ख़ामोश है

मेरी क़लम वो आज ख़ामोश है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama