रामभक्त कौन
रामभक्त कौन
मर्यादाओं की सीमाएँ करते नहीं कभी पार,
अधिकारों से ज्यादा ,
कर्तव्यों को पूर्ण करने में करते हो विश्वास ,
तो तुम रामभक्त हो ।
बड़ी से बड़ी मुसीबत में रखते धीरज अपार,
क्रोध रहे शब्द कोष से बाहर ,
प्राणिमात्र के प्रति हृदय में करुणा के भाव,
तो तुम रामभक्त हो ।
एक ललकार पर त्याग सकते हो राजपाट,
अपने शत्रु की भी अच्छाइयों का ,
कर सकते हो सम्मान,
तो तुम रामभक्त हो ।
सिर्फ राम को नहीं ,
राम की भी मानते हो ,
मानवोचित गुणों को धारण करते हो ,
तो तुम रामभक्त हो ।