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Satyendra Gupta

Abstract

4.5  

Satyendra Gupta

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बेटी की बिदाई

बेटी की बिदाई

2 mins
64


तुम दिल का टुकड़ा हो बेटी

कैसे करूँ तुम्हारी बिदाई बेटी

कितने जतन से तुम्हें पाला बेटी

दुनिया की दस्तूर निभाना है बेटी

कैसे करूँ तुम्हारी बिदाई बेटी।


देता हूँ तुम्हें आशीर्वाद इतना

खुश रहना बस खुश ही रहना

जब लगे पिता का याद सताने

तब जरूर आयेंगे तुमसे मिलने

आंख से आंसू निकालकर 

तुम्हें कमजोर नहीं करूंगा बेटी

कैसे करूँ तुम्हारी बिदाई बेटी।


वो आंगन वो घर जो तुमसे चहकता था

घर आकर तुम्हें देखकर थकान मिटता था

बड़ी होकर भी पापा पापा करती थी

रूठ जाने का मनभावन नाटक करती थी

मनाने पर हंसकर मान भी जाती थी

बाहर से घर आकर मन लगेगा क्या बेटी

कैसे करूँ तुम्हारी बिदाई बेटी।


मुझे उदास देखकर तुम उदास हो जाती थी

मुझे खुश देखकर तुम खुश हो जाती थी

मेरी हर परेशानियों को जान जाती थी

घर आने पे तुम्ही चाय पानी लाती थी

अब कौन लाकर देगा बेटी

कैसे करूँ तुम्हारी बिदाई बेटी।


ये दुनिया की चली आ रही दस्तूर है

आज तुम्हारा पिता बहुत मजबूर है

एक पिता आज कन्यादान कर रहा है

अपने दिल के टुकड़े को दूर कर रहा है

पर अपने पिता को याद रखना बेटी

कैसे करूँ तुम्हारी बिदाई बेटी।


बस इतनी गुजारिश है दामाद जी

जिस लाड प्यार से पाला है बेटी को

उस लाड प्यार से रखना दामाद जी

जैसे मैंने इसकी हर गलती पे समझाया

वैसे ही इसको समझाना दामाद जी

इसकी याद तो बहुत आएगी दामाद जी

कैसे करूँ इसकी बिदाई दामाद जी।


जाओ बेटी ससुर में अपने पिता को देखना

जाओ बेटी सांस में अपनी मां को देखना

जाओ बेटी ननद में अपनी बहन को देखना

जाओ बेटी देवर में अपने भाई को देखना

तुम्हें और क्या क्या बतलाऊँ बेटी

कैसे करूँ तुम्हारी बिदाई बेटी।



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