Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Satyendra Gupta

Abstract

4  

Satyendra Gupta

Abstract

गांव का सुकून

गांव का सुकून

2 mins
47


मेरे गांव में खटिया है, लेकिन नींद बढ़िया है,

तेरे शहर में गद्दे हैं, लेकिन नींद भद्दे है।

तेरे शहर में अन्न है जिसे हम देते है

और खुद को शिक्षित हमें गवार कहते है

तुम कसरत करने जिम जाते हो

और हम खेतों में मेहनत करके मजबूत रहते है

तुम्हारे यहां अशुद्ध हवा , मेरे यह हवा बढ़िया है

मेरे गांव में खटिया है, लेकिन नींद बढ़िया है

तेरे शहर में गद्दे है , लेकिन नींद भद्दे है।


तेरे शहर में  पसीने बहाएं नहीं सुखाए जाते है

मेरे गांव में  पसीने सुखाए नहीं बहाए जाते है

जब खेतों में चलते है हल, जब लगते है बल

जब उगते है हरे भरे अनाजों के लहलहाते फसल

तो देखकर मन उल्लासो से भर जाते है

खुद तो वो अन्न खाते और शहरों को भी खिलाते है

दिन भर मेहनत करके सुकून की दरिया है

मेरे गांव में खटिया है , लेकिन नींद बढ़िया है

तेरे शहर में गद्दे है, लेकिन नींद भद्दे है।


सुबह सुबह कोयल की पंछियों की चहचहाना

जीने की चाह और सुबह की लाली में खो जाना

लगता जैसे प्रकृति ने संगीत की राग छेड़ दी

फसलों से जब हवा गुजरती है 

तो लगता है फसल भी नृत्य कर रही है

खेतों में काम करके जब शरीर मिट्टी मिट्टी हो जाए

तो लगता की यही फसल जीवन का जरिया है

मेरे गांव में खटिया है, लेकिन नींद बढ़िया है

तेरे शहर में गद्दे है, लेकिन नींद भद्दे है।


मेरे गांव में घी, दूध ,दही , मट्ठा है

यह का बच्चा बच्चा स्वस्थ और पट्ठा है

मेरे गांव में दादा दादी का प्यार है

उनकी गोद में अपार प्यार है

गांव में सभी के मन में प्रेम का दरिया है

मेरे गांव में खटिया है, लेकिन नींद बढ़िया है

तेरे शहर में गद्दे है, लेकिन नींद भद्दे है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract