कहानी में पहले।
कहानी में पहले।
कहानी में पहले मोहब्बत के चराग जगमगाते थे
अब तकदीर में जरा भी ईंधन नहीं।
खुब सारी पूजा की है
तुम्हारी लकीरों को मेरी हथेली से मिलाने के लिए,
मैं क्यूं भूल जाता हूँ
तुम्हारा - मेरा मज़हब एक नहीं।
आंखों से तुम लहू बनकर छलकते तो अच्छा था,
लोग समझते जख्मी है कमजोर नहीं।
वो अजनबी एक दिल तुम्हें पुकार रहा है,
उनसे कहना, तुम्हारा उनका मिलन हमारे जैसा नहीं।
जुदाई का गम परछाई को भी था,
तुमने दुनिया की नजरों से देखा मुझे
क्या फायदा अब, तुम्हारा हाथ मेरे कंधे पर नहीं।
मैं मेरे दिल को संभाल लूंगा, रातों को बहाने बता दूंगा,
लोग भी पूछेंगे,
मैं बदनाम होने की सारी जिम्मेदारी लेता हूं
इसमें तुम्हारा कुसूर नहीं।

