हम-तुम साथ निभाएंगे
हम-तुम साथ निभाएंगे
ओ मेरे जीवनसाथी
चलो क्षितिज के पार
जहां मिलते हैं गले
धरती आकाश एक दूसरे से
फूलों के एक नगर में
बनाएं एक आशियाना अपना
जहां घने पेडों की दीवारें हों
आसमान जिसका छत हो
चाँद का झरोखा हो
और सितारों की झालर हो
हरी भरी धरती कालीन बनकर बिछती हो
नर्म फूलों का बिछौना हो
बाहों का तकिया हो
एक ऐसी दुनिया में चलें
जहां न ग़म हो, न आँसू हो
न नफ़रतों की धूप हो
ख़ुशियों की शाम न हो जहां
न ढोंगी समाज हो
और न रस्मोरिवाज की जंजीरें हों।
जहां मिले मोहब्बत लगाकर गले
जहां प्यार ही प्यार खिले
ओ जीवनसाथी मेरे
चलो वहां,
जहां सुख भले कम हो
लेकिन खुशियां बहुत ज्यादा हों
जहां सुकून हो जीने में
एक ऐसा संसार बनाएंगे वहां
जहां हाथों में हाथ ले
हर मौसम, हर हाल में
हम-तुम साथ निभाएंगे।