जश्न-ए-आज़ादी
जश्न-ए-आज़ादी
जश्न-ए-आज़ादी है हम-सब मिल कर जश्न मनाएंगे।
फहरा कर भारत का तिरंगा वंदेमातरम् गाएंगे।।
गाएंगे यशगान भरत के वंशज उन महावीरों की।
वीर प्रताप, शिवाजी, लक्ष्मीबाई से रणधीरों की।।
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु झूल गए फाँसी पर जो।
आज़ादी के दीवाने आज़ाद और सावरकर को।।
आज भले हर गाँव गली में आजादी का मेला है।
इस आज़ादी को पाने में कितनों ने दुःख झेला है।।
याद करें उन जाबाँंजों को जो फाँसी पर झूले हैं।
जिनके नाम ज़ुबाँ पर हैं और जिन्हें अभी तक भूले हैं।।
आभारी हैं उन वीरों की जिसने तन-मन वार दिए।
तोड़ गुलामी की जंजीरें हम पर हैं उपकार किए।।
वीरों की कुर्बानी का हम कैसे कर्ज़ चुकाएंगे।
जब-तक साँस रहेगी उनको भूल नहीं हम पाएंगे।।