मित्र
मित्र
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मित्र सुदामा - श्याम के जैसे।
मित्र सुग्रीव और राम के जैसे।
नहीं और जग में कोई दूजा -
भक्त और सुख धाम के जैसे।
एक मित्र थे कर्ण-सुयोधन।
प्रेम और विश्वास का बंधन।
धर्म अधर्म के अर्थ से परे -
पूर्ण समर्पित दोनों के मन।
एक द्रौपदी और मनमोहन।
एक डोर से बंधे दोनों मन।
श्रद्धा, भक्ति, प्रेम की छवि-
है अटूट मित्रता का बंधन।
मित्र और मित्रता का जीवन।
जैसे एक सुगंध और सुमन।
जीवन में रहें संग हमेशा -
जैसे दृष्टि और ये नयन।