हमें मुस्कुराने की आदत नहीं
हमें मुस्कुराने की आदत नहीं
ख़ुशी जो देखी नहीं जिंदगी में
हमे किसी से शिकायत नहीं
ख़ुशी मिल भी गयी तो रहेगी उदासी
हमे मुस्कुराने की आदत नहीं
ख़ुशी तो है हवा का झोंका
हमे पकड़ने की इच्छा नहीं
दुखों के बोझ को कम करना है
हमे मुस्कुराने की आदत नहीं
चाहे कितने करलो तुम सितम
हम न भूल पाएंगे कोई गम
खुसी बांह छुड़ाकर चली जाएगी
हमे मुस्कुराने की आदत नहीं
पलकों से ख्वाब गिरकर चूर हो गए
क्यों जिंदगी से मजबूर हो गए
मंज़िलें मेहनत बिना मिलती नहीं
हमे मुस्कुराने की आदत नहीं
मदद, मर्यादा और त्याग का मोल नहीं
आस्था और विश्वास का अस्तित्व नहीं
थक जायेंगे अपमान के सूखे पत्ते समेटते हुए
हमे मुस्कुराने की आदत नहीं
हमने जिंदगी से बस इतना चाहा
सबके साथ प्यार से इज़्ज़त से रहे
न कोई मोह, बस करुणा साथ लिए चले जहाँ से
हमे मुस्कुराने की आदत नहीं