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shruti chowdhary

Abstract

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shruti chowdhary

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नया संस्करण

नया संस्करण

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नया संस्करण 

कब्र के ऊपर 

मेरी अंतिम 

सांस की ओर


मुझे भी साथ 

ले चलो 

गहरे भटकते 

वन में और 

बैठा दो 

मेरी माँ स्वरुप 

वृक्ष के विपक्ष 


मेरी 

अंतिम

साँस छोड़ने

से पहले 

मैं विनती नहीं करुँगी 

सुपरनरल

अहसास भरी 

उड़ान के लिए 


मैं अपनी चेतना को 

आत्मसात 

करना चाहती हूँ 

उसकी भावात्मक 

जड़ों में 


हो सकता है मेरी 

आत्मा 

चुपचाप पनपे 

वृक्ष के कड़क 

सूँढ के भीतर 


चलो प्रकृति 

को लम्बी 

दावत देते है 

फुर्सत से 


जब एक 

मेरी 

अंतिम परमाणु 

की शै 

न हो जाए 


यदि यह हो,

कि यह 

वाक्य 

नीचे उतरा गया

लालची

स्कम हो 


मैं हो सकता 

हूँ कोई 

गुप्तसपलिंग

जो उगता जाए 

ऊपर, ऊपर, ऊपर


कभी

अत्यंत सतर्क रूप 

से मीनार 

की तरह अडिग 


शायद 

मै भी,

एक दिन 

कयामत से 

मानव द्वारा वाष्पीकृत 

हो जाऊ 


प्रार्थना करो, मेरे 

द्वारा पवित्र 

किया हुआ बीज

फिर से जीवित 

हो जाए 

मेरी आशाओं 

से बढ़कर 


शान्ति के लिए 

आते है

उस 

शानदार

मिट्टी पे 

एक नया,

अनन्त 

जन्नत बनाते हैं!


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