चलो मेरे साथ
चलो मेरे साथ
कदम बढ़ा सको तो चलो
भीड़ से निकल सको तो चलो
धूप तेज ही सही
राहें बदल सको तो चलो
अपने अश्रु पोंछ सको तो चलो
कमजोर शाखाओं को छोड़ सको तो चलो
कोई सहारा न मिला तो क्या
नए जहाँ को तलाश सको तो चलो
अपने कंधे पर अपना बोझ उठा
सको तो चलो
बगैर रहम की आस लिए उठ चलो
नए प्यार और विश्वास कि तलाश में
उम्मीद की किरण झांक के तो चलो
बेदर्द दुनिया छोड़ के तो चलो
ग़मों से डूबती नाव से उभर निकलो
पूर्णिमा की चांदनी छिटकी है आँगन में
अपनी खुद की पहचान बना के तो देखो
दिल में इरादे हो अटल तो चलो
बुराई का पर्दा हटा सको तो चलो
सुबह का इंतज़ार अब हुआ ख़त्म
जिंदगी अपने नाम कर सको तो चलो