मेरे बढ़ते कदम
मेरे बढ़ते कदम


कुछ पाने की चाह में
मैं चल पड़ी उस राह में
अब मंज़िल को पाना हैं
सपनों को हकीकत बनाना हैं
अब खुद को ना ठुकराना हैं
अब खुद को आजमाना हैं
बहुत डर चुके हम
अब इस डर को भगाना हैं
आंधी तूफानों से अब हमें ना घबराना हैं
लहरों से लड़ कर हमें कश्ती तक जाना हैं
लोगों के तानो पर अब हमें मुस्कुराना हैं
की हुई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती
यह उनको बताना हैं
लड़किया किसी पर बोझ नहीं होतीं
आ गया ऐसा ज़माना है
देश की बेटी होने का
फर्ज़ अब मुझे निभाना है
मुझे देश को भ्रष्टाचार
गरीबी से मुक्त कराना है
आई हूँ इस दुनिया में तो
ज़रूर कुछ कर के जाना हैं
अपने देश का नाम रौशन कर
मुझे देश को तरक्की की राह पर लाना है...।