नाइटलाइफ़
नाइटलाइफ़
सबसे
हल्का
गुलाबी
और सूर्य अस्त
की
फुसफुसाहट
धीरे धीरे
मर रही है
अपने पर गुमान
राजहंस के
पंख की तरह
शर्माना
अपने नैनो
के नीचे
गड्ढे सूख
रहे हैं
चैती-
नीला
बादलों की
सूजन
रात को
घेरे बैठी है
सुन सुन करती
चुबती
हवाएं
उस की ठंडक
थरपते होंठ
तुम्हारी चिढ़ाने
वाली मुस्कराहट
चांदी जैसे
चांद वाली
हिचकिचाहट
सितारों की चमक
तुम्हारी बौहो
को उभार रही है
ऐसे ही
लगे रहो
मेरे प्रेम स्त्रोत
जब तक
पूर्ण
छेड़खानी
का प्रकाश
अपरिहार्य
दिन को
उज्ज्वलित
नहीं करता !