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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

पैसा और परिवार

पैसा और परिवार

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आज की इस भागदौड़ में इंसान 

अपनों को ही नहीं समझ पाया है,

अपने रिश्तों को कहीं दूर छोड़कर 

उसने सिर्फ पैसों से रिश्ता बनाया है, 

और इस पैसा कमाने की होड़ ने,

अपने ही परिवार को बिखराया है,

हाय रे जिंदगी ये कैसा रंग लाया हैII 


संयुक्त परिवार अब कहाँ दिखता ,

इसका धीरे –धीरे अस्तित्व खोया है 

अपनी ही महत्वाकांक्षाओं को पूरा 

करने को होड़ में जड़ हो गया और 

जीवन में उसने बहुत कुछ खोया है 

हाय रे जिंदगी ये कैसा रंग लाया है,

पैसे की होड़ ने परिवार बिखराया हैI 


सुख-सुविध

ाएँ पाना महंगाई के दौर में 

जीवन को और भी सुख समृद्ध बनाना 

इच्छाओं, आवश्यकताओं को पूरा करना 

दिन-प्रतिदिन यह सब बढ़ता जा रहा है  

इंसान के जीवन में बदलाव आया है 

हाय रे जिंदगी ये कैसा रंग लाया है,

पैसे की होड़ ने परिवार बिखराया हैI 


बदल गया सब पहले जैसा कुछ न रहा 

रिश्ते –नाते टूट गए सब कुछ भूल गया 

हँसती -खेलती बगिया मुरझा सी गई है 

विश्वास की वो डोरी कमजोर पड़ गई है

अपनों के हो बीच बनकर दीवार आया है 

हाय रे जिंदगी ये कैसा रंग लाया है,

पैसे की होड़ ने परिवार बिखराया हैI


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