गमले में केले का पेड़
गमले में केले का पेड़
वो रुक कर कहता है
तुम्हारे मुहल्ले की
कुछ संस्कारी औरतें
गमले में
विधि विधान से
केले की पौध ला
रोपती है।
उसे रोज पूजती है
श्रद्धा से सींचती है और
रखती है गुरूवार के व्रत
मनाते हुए कि हो उसके
अपने वंश की रक्षा,
और वृद्धि।
यहां तक चलो सब ठीक है
पर गमले में रोपे गए
पूजे गए उस केले का वंश
कहाँ तक बढ़ता है?
वो हंसता है और आगे बढ़ते कहता है।
मुझ अविश्वासी का अब कुछ
और कहना जरूरी
नहीं है न !