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PrajnaParamita Aparajita

Abstract Drama Tragedy

4.5  

PrajnaParamita Aparajita

Abstract Drama Tragedy

कभी मिलना ए ज़िंदगी .....

कभी मिलना ए ज़िंदगी .....

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कभी तुम तसल्ली में हो और में सुकून से,

तभी मिलने आना मुझसे ए ज़िंदगी मुझसे

आधी नींद वाली पलकों में रहूँ, 

तभी सिरहाने बैठना खामोशी से, 


मैंने तुम्हें अनसुलझा समझा या तूने मुझे ना समझ से,

ये आराम से समझ के फिर बातें होंगी रूबरू दिलसे.....


बताऊँगी क्यूँ तू पकड़ से बाहर ना समझ पहलू लगी मुझे,

और तू बताना क्यूँ क्या सही नहीं लगी मुझमें तुझे....,,

साँसों की लड़ियाँ टूटने से पहले ये समझ लेने दे ए ज़िंदगी,  


की ग़लत सही से परे ये तसल्ली तो हो के

काबिलियत मुझमें थी कि नहीं...

कभी मिलना तसल्ली से ए ज़िंदगी।


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