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PrajnaParamita Aparajita

Abstract

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PrajnaParamita Aparajita

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ए ज़िंदगी....

ए ज़िंदगी....

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सिरहाने तेरी ही किताब छुपाए हर रात बीतती है मेरी

बिस्तर की सिलवटें तेरी रूबरू रहने की गवाही है मेरी

हर रात ए ज़िंदगी तेरे ही सपने यादों में बेरुख़ी तेरी

मोहब्बत इतनी शायद हो किसी से मेरी

सुबह को मुलाक़ात मुमकिन भी शायद ना हो

फिर भी शुक्राना तेरा दिल से है ए ज़िंदगी..

हर ख़ुशी, हर हँसी, हर मरहम का शुक्रिया,

हर आंसू , हर दर्द, हर वो ज़ख़्म का शुक्रिया,

मुझमें तेरी तलब का शुक्रिया,

कल मिले ना मिले पर हर पल मेरी बने रहने का शुक्रिया

तू है तो में हूँ..... तुझसे है वजूद मेरी।



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