ईश्वर
ईश्वर
वो अनंत, अविनाशी
करता भवसागर से पार
निर्गुण सगुण में विद्यमान हो
आत्मा में करता निवास।।
ना रहता किसी मंदिर-मस्जिद
नहीं रहता काबे-कैलास
जब मन से याद करो
तभी होता वो पास।।
आडंबरों से दूर ही रहता
नहीं कर्म कांड में वास
श्रद्धा संग हो भाव में शामिल
जैसे खुला आकाश।।
हर साँस के संग साँस दिला
अहसास दिलाता खास
कष्ट परेशानी आए हम पर
कभी ना छोड़ता साथ।।
फूल पत्ती से खुश हो जाता
रखता शीश पर हाथ
मात-पिता बन आशीर्वाद देता
रहता हमारे पास।।
