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shruti chowdhary

Abstract Drama Tragedy

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shruti chowdhary

Abstract Drama Tragedy

अँधेरा हमसफ़र सा लगता है

अँधेरा हमसफ़र सा लगता है

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सुबह चुभती है मेरी आँखों में

अँधेरा हमसफ़र सा लगता है 

किसी की दी हुई तन्हाई से 

खुद से मिलने से डर लगता है 


चारों तरफ छिटके सूखे पत्ते 

ये उजड़ी सी शाखाएं 

यादें बुझी सी लगती है 

अँधेरा हमसफ़र सा लगता है 


दूर जाती दिखती मंज़िलें 

थका सा महसूस होता है 

होंठों से खिलती हँसी ढल गयी 

अँधेरा हमसफ़र सा लगता है 


यूँ सिमटकर मंद बहती हवा 

गम में डूबा चला जाता हूँ 

कोयल की कलरव लगती कड़वी

अँधेरा हमसफ़र सा लगता है 


ये उड़ता हुआ काला धुआं 

सारा जहान वीरान नज़र आता है 

दिखावे ढोंग से दौड़ती जिंदगी 

अँधेरा हमसफ़र सा लगता है


चुप्पी साधे नदी का मैला पानी 

चेहरा धो नहीं पाता हूँ

मेहनत ने ठोकर मार दी 

अँधेरा हमसफ़र सा लगता है


अब शेष कुछ बाकी नहीं 

सच्चे प्यार की तलाश नहीं 

संतोष से बुझा ली अपनी प्यास 

अँधेरा हमसफ़र सा लगता है



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