बहुत बहुत आभार तुम्हारा कोरोना
बहुत बहुत आभार तुम्हारा कोरोना
बहुत बहुत आभार
तुम्हारा कोरोना
बहुत बहुत आभार
तुम्हारा कोरोना।
बच्चों के मन घर की
याद जगाने का
बहुत बहुत आभार
तुम्हारा कोरोना
मन मे था जाओ बच्चों
तुम ख़ूब पढ़ो तुम ख़ूब बढ़ो
अपने मात पिता का
रोशन नाम करो
तुम घर से क्या गए
सभी मजबूर हुए
करूँ बहुत सत्कार
तुम्हारा कोरोना
बहुत बहुत आभार
तुम्हारा कोरोना
बहुत लड़ाई होती थी
घर रोजाना
भूल गए थे एक दूजे में
खो जाना
चूल्हा तो इक ही था
जिस पर रोटी बनती
लेकिन फास्ट फूड का
अपना मंज़र था
कैद हुए बच्चे बूढ़े
अपने घर मे
बंद हुआ व्यापार
जगत में कोरोना
बहुत बहुत आभार
तुम्हारा कोरोना
मोबाइल से जुड़े थे
सब रिश्ते नाते
सुबह शाम होती थी
बस सबसे बातें
माँ रोती थी
पिता दुखी थे
भाई रिश्तों को ढोते थे
रिश्तों ने उँगली पकड़ी
तब आभासी दुनिया छुटी
बदले हैं व्यवहार
सभी के कोरोना
बहुत बहुत आभार
तुम्हारा कोरोना।