STORYMIRROR

Poonam Chandralekha

Drama Tragedy Classics

4  

Poonam Chandralekha

Drama Tragedy Classics

यत्र मूर्ति पूज्यन्ते ...

यत्र मूर्ति पूज्यन्ते ...

1 min
175

औरत को 

प्रेम, दया, त्याग और ममता की 

मूर्ति समझा गया , इंसान नहीं !

हाँ, सच है, 

सिर्फ मूर्ति ही !


क्योंकि

मूर्ति में भावनाएँ नहीं होतीं 

मूर्ति में इच्छाएँ नहीं होतीं 

और यदि होतीं तो गढ़ी नहीं जाती मूर्ति !


सच है, मूर्ति ही समझा गया उसे 

सिर्फ एक मूर्ति !

अच्छा है, बहुत अच्छा है 

इस बहाने कम से कम उसे 

पूज तो लिया जाता है 

झुक जाते सब पुरुष शीश 


समर्पित होते राजे-रजवाड़े 

अच्छा है, बहुत अच्छा है 

दूसरा सच यह भी है कि

'इंसान' तो केवल 'पुरुष' है 


और 

इंसान को पशु बनने में देर नहीं लगती 

 मर चुकी हो जब इंसानियत उनमें 

औरत का इंसान नहीं; मूर्ति बने रहना 

अच्छा है, बहुत अच्छा है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama