यूं नाराज़ न रहिए जिन्दगी से
यूं नाराज़ न रहिए जिन्दगी से
कभी सुख है तो कभी दुख
ज़िन्दगी है,
अपने हिसाब से चलती है
चिंता क्यों? कल किसने देखा
गमों को भुला दीजिए
मुस्कुरा कर
दोस्त हों या दुश्मन,
घर आए है आपके
चाय तो ज़रा पिला दीजिए
तुनुक मिजाज़ है बड़ी
ज़िन्दगी को मना लीजिए
यूं