पहले गुलाब की कहानी
पहले गुलाब की कहानी
ये दिल मेरा तेरा तलब गार है ये तेरे खातिर मुझसे भी नाराज है,
कभी कभी खफा हो जाता है,
जो कभी उदास हो तू तो ये भी रो जाता है,
अपनी सांसो में मैंने तुझे महकता पाया है
हर ख्वाब में सिर्फ तुझे ही बुलाया है,
आखिर क्यों ना करूं याद तुझको
जब खुदा ने तुझे मेहज़ मेरे लिए बनाया है,
हाँ, एक किस्सा मुझे याद आया है
क्या भीगा हुआ गुलाब कभी कोई तुम्हारे लिए लाया है ?
भीग कर बारिश में सिर्फ तेरे लिए आया हो
अपनी मोहब्बत का एहसास तुझे बिन कुछ कहे दिलाया हो,
छुपा गुलाब और कुछ ना कह पाया हो
भरी महफिल से उदास होकर आया हो,
हाँ मैं वही हु,
क्या तेरी महोब्बत के लिए मैं सही हु?
नहीं पता,
मगर तू मेरी मोहब्बत है!
तू जरूरत है मेरी और तू ही मेरी आदत है,
मेरी तो बस एक ही चाहत है कि पुकार के तेरा नाम बोल दू,
तू मेरी मोहब्बत है ये बात अपने शब्दों में घोल दू,
क्या याद है तुझे जब तुम शर्माई थी
सुनकर वो गुलाब वाली बात मन ही मन मुस्काई थी,
जो पूछा तूने हाले-दिल मैंने कुछ नहीं बताया था,
कई सालों तक तो मैंने ये प्यार भी छुपाया था
पर अब इकरारे महोब्बत हो ही गई
तो दीवानगी में तेरे कुछ ऐसा कर जायेंगे,
तू पुकारेगी जब भी मेरा नाम तो वादा है तुझसे कि
हम महोब्बत बनकर तेरी सासों में घुल जायेंगे,
" कई चेहरे लेकर तो लोग जिया करते हैं,
हम तो सिर्फ तुम्हारे चेहरे से ही प्यार करते है '
बस एक बात केहनी है तुमसे की मुझे इन नज़रों में ना बसावो,
क्योंकि नज़रो में तो ख्वाब बसा करते है,
बसाना ही है तो दिल में बसावो,
क्योंकि वही तो अपने बसते है।"

