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Manoj Kumar Meena

Romance Fantasy

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Manoj Kumar Meena

Romance Fantasy

इश्क़ समंदर

इश्क़ समंदर

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आशिकों के आशियाने डूब जाते हैं जब वह इश्क के समंदर में दूर तक जाते हैं,

आंसू बनकर गम आते हैं जब वह किसी और को बेपनाह चाहते हैं,

कश्ती भी इन माझधारों में खुद को कहां संभाल पाती है,

जब बेरुखीयों की लहरे इनके पास आती है,

इस सफर को तय करना अब नामुमकिन सा लगता है,

अब किसी से प्यार करना मुश्किल सा लगता है,

कुछ लिख के इन शीशों पर उन्हें तोड़ देता हूँ,

कहीं पढ़ ना ले कोई शायद इसलिये मैं इन शीशों को फोड़ देता हूँ,

आंसुओं की स्याही से मैंने दिल के पन्ने भीगो दिए,

बहता था जो आंसू तेरी याद में अब मैंने वो आंसू भी धो दिए,

गम के बादल अब प्यार के समंदर में तूफ़ान बनकर आये है,

जो रोया मैं तो इन बारिशों ने भी मुझसे नाता जोड़ लिया,

जो कभी किनारों पे बनाये थे हमने रेत के महल,

वो बेवफाई के तूफ़ान से अब बिखर सा गया है,

जो आशियाने थे अपने इश्क़ के समंदर में वो अब तेरी जुदाई की लहरो से बह सा गया है,

" सही कहते है की आशिको के आशियाने डूब ही जाते है

जब वो इश्क़ के सफर में दूर तक जाते है,

अब तो आंसू बनकर महज़ गम ही आते है जब वो किसी और को बेपन्हा चाहते है!


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