इश्क़ का समंदर
इश्क़ का समंदर
आशिकों के आशियाने डूब जाते हैं
जब वह इश्क के समंदर में दूर तक जाते हैं,
आंसू बनकर गम आते हैं जब वह किसी और को बेपनाह चाहते हैं,
कश्ती भी इन माझधारो में खुद को कहां संभाल पाती है,
जब बेरुखीयो की लेहरे इनके पास आती है,
इस सफर को तय करना अब नामुमकिन सा लगता है
अब किसी से प्यार करना मुश्किल सा लगता है,
कुछ लिख के इन शीशो पर उन्हें तोड़ देता हूं,
कही पढ़ ना ले कोई शायद इसीलिये मैं इन शीशो को फोड़ देता हूं
आंसूओ की स्याही से मैंने दिल के पन्ने भिगो दिए,
बहता था जो आंसू तेरी याद में अब मैंने वो आंसू भी धो दिए,
गम के बादल अब प्यार के समंदर में तूफ़ान बनकर आये हैं,
जो रोया मैं तो इन बारिशो ने भी मुझसे नाता जोड़ लिया,
जो कभी किनारों पे बनाये थे हमने रेत के मेहल,
वो बेवफाई के तूफ़ान से अब बिखर सा गया है,
जो आशियाने थे अपने इश्क़ के समंदर में वो अब
तेरी जुदाई की लहरों से बह सा गया है,
सही कहते हैं कि आशिको के आशियाने डूब ही जाते हैं
जब वो इश्क़ के सफर में दूर तक जाते हैं,
अब तो आंसू बनकर महेज़ गम ही आते हैं
जब वो किसी और को बेपनाह चाहते हैं!