खुद से मोहब्बत करना सीखो
खुद से मोहब्बत करना सीखो
खुद से मोहब्बत करना सीखो, बहुत सुकून है
दूसरों के लिए की हुई दुआ और खुद से की हुई मोहब्बत में, दोनों मुकम्मल जरूर होती है,
अरसा बीत जाता है दूसरों में मोहब्बत ढूंढते ढूंढते हैं मगर आखिर में नम आंखों और जख्मी दिल के सिवा कुछ मिलता नहीं भूल जाते हैं हम कि खुद से ज्यादा परवाह हमारी कोई करता नहीं जब बैठे होंगे तन्हाइयों में आंसू बहाते तो उन तन्हा रातों में हमसे बातें कौन करेगा, हम दूसरों से मोहब्बत कर तो लेंगे मगर हमसे मोहब्बत कौन करेगा
खुद से मोहब्बत करना सीखो यह जहां और भी हसीन लगने लगेगा जब खुद से मोहब्बत होगी तो सुकून बहुत मिलेगा।
