स्वप्रेम
स्वप्रेम
रंग, उम्र महज़ एक शब्द है,
ऐ इंसान समय की भागदौड़ में,
तू खुद को भूल रहा हर वक़्त है।
सबको संवार सबको निखार,
पर पल दो पल खुद को भी देख,
ज़रा ठहर ! खुद को भी निहार,
तू कुदरत का बनाया वो तोहफा है,
जो सुंदर है, प्रबल है, सशक्त है।
रंग, उम्र महज़ एक शब्द है,
ऐ इंसान समय की भागदौड़ में,
तू खुद को भूल रहा हर वक़्त है।
हर क्षण खुद से प्यार करना तेरा हक़ है,
पर तू खुद के आईने से विरक्त है।
रंग, उम्र महज़ एक शब्द है,
ऐ इंसान समय की भागदौड़ में,
तू खुद को भूल रहा हर वक़्त है।
