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Krishna Bansal

Classics Fantasy Inspirational

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Krishna Bansal

Classics Fantasy Inspirational

नव वर्ष २०२३

नव वर्ष २०२३

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नव वर्ष की पूर्व संध्या

ग्रैंड पार्टी का हो चुका था 

आगाज़।

नाचना गाना

पीना पिलाना 

सिगरेट का धुआं 

ढोल मजीरे

सभी मस्त और प्रसन्न  

दो हज़ार बाईस को विदाई और 

दो हज़ार तेईस के स्वागत के लिए

बारह बजने की प्रतीक्षा में।


कोई मेरे कान में फुसफुसाया।

 

द्वार पर खड़ा था

दो हज़ार तेईस।


बोला,

मैं प्रवेश करने जा रहा हूं

एक वर्ष के लिए अपने नए जीवन में।


मुझ से क्या आशा करते हो 

उसने एक प्रश्न दागा।


मैंने कहा 

सर्वे भवन्तु सुखिन:

सर्वे सन्तु निरामया:

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु

मा कश्चिद दु:ख भाग् भवेत्।


मेरा खुद का लक्ष्य यही रहता है

उसने कहा

पर क्या करूं

मानव स्वयं ही कोई न कोई 

उलझन पैदा कर रखता है।


गरीब चाहता है

सब सुविधाएं मिलें,

कम से कम 

रोटी, कपड़ा और मकान तो मिले

पर मेहनत न करनी पड़े।


अमीर परिश्रम कर

साम्राज्य खड़ा कर लेता है

बिज़ेनस, आलीशान मकान,

ऐशो आराम के सभी साधन

और भी न जाने क्या क्या

पर उसे सन्तुष्टि नहीं मिलती

और, और के चक्कर में 

फंस कर रह जाता है


आदमी पहले बदपरहेज़ी कर

तरह तरह के ऐब पाल 

बीमारी मोल लेता है 

फिर स्वस्थ होने के लिए

पैसा पानी की तरह बहाता है।


अब ओमीक्रोन बीएफ ७ ने 

दस्तक दे दी है

कह नहीं सकता क्या होगा 

कुछ चीज़ें मेरे बस में भी नहीं हैं।


प्रकृति भी कई बार

कहर ढा देती है 

कहीं सूखा, कहीं बाढ़

सुनामी और भूचाल,  

अभी अमेरिका में

स्नो स्टोर्म।


पर, मैं चाहूंगा 

मेरा प्रयत्न रहेगा

सब सुखी व खुश रहें, 

अभय रहें, प्रसन्न रहें

कभी किसी को कष्ट न छूए

सभी निरोग रहें

कोई अभावग्रस्त न हो।


तभी कमरे से ऊंची सी आवाज़ गूंजी

हैपी न्यू ईयर

नया वर्ष मुबारक हो 

पलक झपकते ही

दो हज़ार तेईस मुझे छोड़

अन्दर भागा।


शैम्पेन के बुलबुले व भीनी खुशबू 

चारों ओर फैली थी।


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