अपनी फैंटेसी की दुनिया में
अपनी फैंटेसी की दुनिया में
यथार्थ में
कुछ हासिल न हो तो
एक कल्पना लोक में जी लो
अपने इर्द गिर्द एक फैंटेसी का वातावरण
विकसित कर लो
कुछ भी कर लेना
सार्थक है जब तक कि वह कोई
बहुत बड़ी हानि न पहुंचाता हो
पहाड़ की चोटी को
नीचे के धरातल से छू लेना ही
रोमांचक है गर इस पर चढ़ना
आवश्यक न हो
एक पंछी बनकर आसमान में उड़
लेना
आसमान को जमीन पर उतार लाना
मैं खड़ी हूं और रास्तों का चल
पड़ना
मंजिल को पा लेना
उसके कदम चूमकर
उसे पीछे छोड़कर फिर आगे बढ़ जाना
मछली को तालाब से निकाल देना
एक पतंग सा ही हवा में उड़ा देना
उसे जीवित रखने का प्रयास करना
उसके साथ खुश हो लेना फिर
उसे ठहरे हुए पानी में ही कहीं
उतार देना
आज दिनभर कुछ अच्छा ही
करेंगे
अच्छे लोगों से मिलेंगे
थोड़ी सी गुफ्तगू करेंगे
थोड़ी दिल्लगी करेंगे
थोड़ा खुलकर हंसेंगे
कल की कल सोचेंगे
आज को तो आज की तरह ही
जियेंगे
रात को नींद आई तो
बंद आंखों से ख्वाब देखेंगे
नींद नहीं आई तो
खुली आंखों से आसमान का चांद
देखेंगे
आज सूरज का रंग पीला नहीं
नीला होगा
और आकाश का रंग पीला
चांद की गेंद के साथ मैं
रात भर खेलूंगी
आज पलकों की चिलमन को नहीं
गिराऊंगी
उसके पर्दों को आज
आसमान की ऊंचाई तक खोलूंगी
हवा के गुब्बारे उड़ाऊंगी
चिड़िया, तोता, मैना
सारे पक्षियों को अपने पास
बुलाऊंगी
मन में मेरे क्या क्या है
बस कोई मुझसे यह न पूछे
मन जो चाहता है
वह एक पल में पूरा होता है
मैं पंख लगाकर उड़ जाती हूं
अपनी फैंटेसी की दुनिया में
और यकीन मानिये कि
मेरा हर सपना
छोटा बड़ा
सब कुछ जो मैं इस जीवन में
पाना चाहती हूं
वह यथार्थ की अनुभूति देता
पूरा होता है।