चित्रकार
चित्रकार
हवाओं में तैरती
संवेदनाओं को
बना लेते हैं स्याही
हम प्राण भर देते हैं
शब्दों में
शब्दों को मनचाहा
आकार देते हैं
हम शब्दों के चित्रकार
नई शक्लें बनाते हैं
शक्लों में रंग भरते हैं
पर,
विवश हैं बहुत
खून के आंसू रोते हैं
वहशी दरिंदों से किन्तु
अपनी बच्चियों को
बचा नहीं पाते हैं