सपना
सपना
दीवार पर
नया फिरोजी रंग चढ़ा है
उसपर ग्रैफिटी है स्वप्नों के डैनो की,
एक सायकिल भी
दीवार से लगी खड़ी है
समग्रता में देखूँ तो शायद
किसी कलाकार की नई कृति है।
फुर्सत मेंआते जाते लोग
इन्हें एक नजर देखते हैं,
कलाकार को सराहते हैं
दीवार,ग्रैफिटी और साइकिल स्थिर हो जाते हैं,
वे लोग इन तीनों के आगे
हर एंगल से सेल्फी खिंचाते हैं,
खुश होते हैं,आगे बढ़ते जाते हैं।
लेकिन सुबह जब पैदल स्कूल को भागता बच्चा
और देर रात घर को थैला लिए लौटता चिंतित कामगार
इनके सामने से गुजरता हैं,
तो ये फिरोज़ी दीवार और चटकीली हो जाती है
डैने तैज़ी से फड़फड़ाते हैं ,
सायकिल जल्दी-जल्दी घण्टी बजाती है की
उनकी तरफ भी ध्यान जाए उनका।
मगर यह सब अनदेखा अनसुना करते ,
हांफते, घड़ी देखते
वे आगे बढ़ जाते हैं,
ये तीनो सोचते हैं कि उन्हें देखा जाना चाहिए था
लेकिन उन्हें दूर से सुनाई पड़ती है एक कर्कश डांट
और उलाहना "जल्दी नहीं आ सकते थे ",करुण रुदन।
दीवार तब से रोज एक
ही सपना देखती है कि सुबह हो गयी है
स्कूल जाता बच्चा उसकी दीवारों को देख रहा है,
डैने निकाल कर अपने कांधों पर पहन उड़ चला है,
और कामगार ने सुबह ही काम को जाते,
अधिकार से सायकिल उठा ली है।
उस दीवार पर रोज लिखी जा रही है
और भी नई नई सच्ची कहानियां
सपनों की उड़ानों से आगे की
जीने में अधिकारों से आगे की।