STORYMIRROR

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Drama Romance

4  

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Drama Romance

इश्क

इश्क

1 min
398

इश्क एक दरिया है जनाब सबको डूबना होता है,

मदमस्त हवाओं संग मस्ती में झूमना होता है।


एक बिजली सी कड़कती है छुअन में,

काॅंपते लबों को लबों से चूमना होता है।

सुख दुख है एक चादर सा,

इसे सर्दी-गर्मी हर मौसम में ओढ़ना होता है।


दुनिया के दंश काॅंटों सा चुभने लगते हैं,

यहाॅं रो-रो कर मुस्कुराना होता है।

चले जो मोहब्बत के सफर में,

संकरे डगर में हर पल सम्हलना होता है।


कोई और न आएगा आंसू पोंछने,

यहाॅं खुद ही रूठना और खुद को मनाना होता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama