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Sweta Kumari

Drama

4.7  

Sweta Kumari

Drama

साँवरी हूँ मैं

साँवरी हूँ मैं

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कृष्ण-सा रंग,कृष्ण के संग

बावरी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।


घनानंद के प्रेम के पीर पर

बलिहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।


र्दुबुद्धि से उत्पन्न उसके बीज का

संहारकारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।


कदंब की अनोखी डाली-सी

चमत्कारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।


प्रकृति की नैसर्गिक छटा-सी

मनोहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।


संपूर्ण जगत में प्रेम की

संचारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।


मानव की मानवीयता का

प्रतिहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।


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